बसाल 1919 बीकानेर की गलियों में 12 साल का बच्चा अपनी बुआ से भुजिया बनाना सीखता है और केवल दो पैसे में उसे बेचना चालू करता है। इस बात से बिल्कुल अन्जान यही भुजिया थे 1 दिन हजारों करोड़ों के बिज़नेस एम्पायर की नीव बनेगी और 1 दिन पूरी दुनिया में बिकने वाले लाखों गुजिया पैकेट्स में उसका नाम हल्दीराम प्रिंटेड होगा। ये कहानी है इंडिया के सबसे बड़े ब्रैंड हल्दीराम की। हल्दीराम का जो 1908 बीकानेर में एक गरीब परिवार में हुआ था, उनके ग्रैंड फादर भुजिया बाजार में अपनी छोटी सी शॉप में भुजिया बेचते थे और बचपन से ही हल्दीराम को भुजिया में बहुत इंटरेस्ट था। इसीलिए सिर्फ 12 साल की उम्र में उन्होंने हर दिन घंटों मेहनत करके भुजिया मेकिंग प्रोसेसर को मास्टर कर लिया और बहुत जल्द अपने ग्रैंडफादर के शॉप में रेग्युलरली बैठने लगे । लेकिन वो अपने ग्रैंडफादर की तरह भुजिया से केवल कुछ एक्स्ट्रा पैसे कमाकर सैटिस्फाइड नहीं थे। वो अपने बिज़नेस को बढ़ाना चाहते थे। हल्दीराम जो भुजिया बेच रहे थे वो बेसन से बनती थी। लेकिन उन्होंने देखा कि राजस्थान के लोगों को वोट की दाल बहुत पसंद है। वहाँ के लोग कई डिसेस में मोट की दाल यूज़ करते थे। इसीलिए जल्दी राम ने भी अपनी को बेसन के साथ मोठ की दाल मिलाकर बनाना चालू कर दिया। उनकी ये नई भुजिया काफी डिलिशियस लगी और एक इन्स्टैंट हेड बन गई, लेकिन वह यहाँ नहीं रुके। उन्होंने रियलाइज किया कि उनकी अभी की भुजिया काफी मोटी और सोपट है लेकिन अगर वो इसे क्रंची बना दे तो कस्टमर्स का एक्सपिरियंस काफी सैटिस्फाइड हो जाएगा। इसे अंजाम देने के लिए उन्हें सबसे पहले अपने बेटर को पतला बनाना था और साथ में एक ऐसा मैश चाहिए था, जिसके होल्स एक स्टैन्डर्ड मैश से छोटे हो ताकि उसमें से पतली भुजिया बन सके। उन्होंने मार्केट में कई मेकर्स के साथ लगकर एक पर्फेक्ट बनवाया और अपने बेटर के कई आइटम ऑपरेशन्स भी ट्राई किये। फाइनली कई महीनों के एक्सपेरिमेंटेशन के बाद उन्होंने एक पर्फेक्ट्ली थीन और क्रासपी भुजिया बना ली। नई भुजिया ने सेल्स को एक स्पोर्ट बड़ा दिया , लेकिन हल्दीराम का इन्नोवेशन केवल गुजिया की रेसिपी तक लिमिटेड नहीं था। टर्न्स आउट की हल्दीराम सीक्रेटली ग्रैन्ड जीनियस भी थे मार्केट में ऐसी कई और दुकानें थीं जो भुजिया बेचती थी, लेकिन हल्दीराम चाहते थे की कस्टमर्स के दिमाग में उनकी इम्पोर्टेन्स एक नोरमल भुजिया से कई गुना ज्यादा होता है। हल्दीराम को पता था कि महाराजा दंगलसिंह बीकानेर के सबसे पॉपुलर महाराजा रहे थे। उन्हें बहुत रिस्पेक्ट करते थे। इसीलिए हल्दीराम ने अपनी भुजिया का नाम महाराजा दंगल सिंह के नाम पे डंगर सेर रख दिया। महाराजा के नाम से उनकी भुजिया बाकी सभी नॉर्मल भुजिया से डिफरेन्स शीट हो गई और उसे एक प्रीमियम पोज़ीशन भी मिल गई। इस नई ब्रैन्डस के साथ उन्होंने प्राइज भी बढ़ा दी है। और कस्टमर्स ने उस प्राइस को खुशी खुशी एक्सेप्ट भी कर लिया। अगले कुछ सालों में हल्दीराम ने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर बिज़नेस को अच्छा खासा स्टैब्लिश कर लिया था और अब 36 साल की एज में उनकी एक वाइफ और तीन बेटे भी थे। बेहद गरीबी से उठकर आए हल्दीराम के लिए सब कुछ। बहुत अच्छा चल रहा था। 1944 में वो उनकी लाइफ में बहुत बड़ा ट्विस्ट आया। घर की लेडीज के बीच में रिलेशन्स बिगड़ने लगे थे। बात इतनी बिगड़ गई कि फाइनली हल्दीराम को घर छोड़कर अलग होना पड़ा। लेकिन प्रॉब्लम ये थी की घर के साथ साथ। बिज़नेस से भी अलग कर दिया गया था। इस बिज़नेस को हल्दीराम ने अपनी जी जान लगा के बुलाया था। उसी बिज़नेस से उन्हें एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली और वो रातों रात अपनी फैमिली के साथ सड़क पे आ गए, लेकिन जिम्मेदारियों के चलते उनके पास इमोशनल होने का। कोई टाइम नहीं था। हल्दीराम ने जल्द से जल्द अपने आपको सम्भाला और काम करने लगे। 1 दिन मार्केट में काम ढूंढ़ते वक्त किसी ने उनका नाम पुकारा। जब हल्दीराम ने मुड़कर देखा तो पीछे उनका एक बचपन का दोस्त खड़ा था। उनका ये दोस्त का ही सालों बाद बीकानेर लौटा था। हल्दीराम ने उसे अपनी सिचुएशन के बारे में सबकुछ बता दिया। इस सालों पहले हल्दीराम ने ₹200 देके अपने दोस्त की मदद की थी, पर फॉर्चुनेटली उसने ये भुला नहीं था। उसने उसी दिन हल्दीराम को ₹100 लौटा दिये और यही ₹100 हल्दीराम के लिए। लाइफ लाइन साबित हुए ये सबसे पहले तो उन्होंने अपनी फैमिली के लिए एक छोटा सा घर लिया और फिर बिज़नेस आइडियाज़ सोचने लगे। उनकी वाइफ चंपा देवी काफी डिलिशियस मूंग दाल बनाती थी और बीकानेर के लोगों के लिए भी मूंग दाल एक स्टेबल डिश थी। तुने मूंग दाल का बिज़नेस करने का फैसला लिया। उन्होंने बचे हुए पैसों से मुंडाल स्पाइसेस और बाकी आइटम खरीदे। काम चलाऊ किचिन पे सेट अप कर लिया। वो दोनों अर्ली मॉर्निंग उठाकर मूल दाल प्रिपेर करते हैं और फिर हल्दीराम पूरे दिन मार्केट में घूम घूमकर लोकल वर्कर्स और ऑफिस को ये डिश